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पासी कौन होते है?| पासी जाति की उपजाति कितनी है ? | Sub-caste of pasis

पासी जाति की परिभाषा जानिए 

Pasi (पासी) - 

पासी जाति भारत कि आदिम द्रविड़ - नागों में से एक है जिसे प्राचीन -क्षत्रिय के रूप में संदर्भित किया जाता है ब्रिटिश विद्वान विलियम क्रुक -1896 का मत है  " पासी का अर्थ संस्कृत भाषा के पाशिका पाश से है जिसका अर्थ रस्सी या फंदा होता है " जिसका इस्तेमाल वह किसी भी क्षेत्र में करता  जैसे - नागपाश , पाशबंध , आदि सीधी भाषा में पाश का इस्तेमाल करने के वाले पासी कहलाए और यह नागवंशी - भारशिव की पेशेगत जाति है -
किसी भी जाति का वजूद  उसके पेशे से तय होता है जब उसका कोई पेशा होगा तब वह एक समूह के रूप में  तैयार होगा फिर उसका पेशा ही उसकी पहचान उसकी जाति बन जाति है  

पासी जाति मुख्यत उत्तर भारत में निवास करती हैं  ब्रिटिश विद्वान   

William crooke - the tribe and caste of the North Western province and oudh- में बाकायदा पासी जाति पर प्रकाश डालते हुए पासी जाति  को यहां की मूलजाति  माना है जो " अवध के बहुत बड़े भू-भाग के स्वामी थे , पासी अवध कि शासक जाति रही है जिनका राज्य 11 वीं सदी से 12 वीं सदी के मध्य 200 सालो तक चरम पर था " , बाद में लगातार हुए राजपूती और मुस्लिम आक्रमणों से ये धराशायी हुए 


जब ये मुख्यभूमि से बेदखल हो गए , तब ये जंगलों में पलायन कर गए, वहां के जमीनों को साफ करके मिट्टी के किले बनाकर में छोटे - छोटे राज्यो के रूप में अपना राजकाज चलाया करते थे  
इनपर मुगलों और राजपूतों  का पूरी तरह नियंत्रण नही हो सका था , जब इनका पूरी तरह से पराभव हो गया ,इनका राजपाट छिन जाने के बाद -
18 सदी आते आते  पासी जाति के लोग मुख्यत: भारतीय राजाओं के सेना में अपनी सेवा देते रहे  the people of India vol -2 1868 के अनुसार अवध के हर तालुकेदारों और राजाओं के यहां लगभग 2500 से 3000 तक पासी सैनिक हुआ करते थे,जो धनुष-तीरों से लैस रहते थे , जो अच्छे धावक , निडर , बहादुर , मजबूत कंधे वाले , ईमानदार,और  धोखा ना देने वाले के रूप में जाने जाते थे इसी सारे गुणों से ये सभी के प्रिय थे ।

उत्पत्ति - 

पासी जाति मूलतः नाग जाति है, जो पद्मावती के भारशिव जिनका वास्तविक मूल  तक्षशिला के - टाक- राज- परिवार के संतानों से है जो बाद में  अपने विघटनकाल के दौरान जमींदार ,भू- स्वामी , जनजातीय मुखिया अथवा कृषक बन गए , जब सबकुछ उनसे छिन गया तो उनकी एक शाखा ' पासी ' और दूसरी ' भर '  कहलायी। अपने स्वतंत्र प्रवृति होने के कारण ये चुप नहीं बैठते थे, मौका पाकर विद्रोह करके अपना राज वापस कायम कर लेते थे इसलिए ये अपने जनविद्रोहों के लिए भी जाने गए । यही वजह रही इनकी शक्ति क्षीण होने के पश्चात् एक बार फिर से अपनी शक्ति को पुनर्जीवित कर  पुनः हिमालय की तराई से बाहर निकाल कर पूरे अवध उत्तर भारत पर काबिज़ हो गई जो पश्चिम में राजपासी और पूरब में 'भर '  के रूप में जानी गयी

धर्म एवं संरचना -

पासी जाति  के लोग शैव संप्रदाय वाले ही हैं और हथियारों के नाम से सारी जातियां  पासियो में ही मिलती है। 
चीनी यात्री व्हेन टी सॉन्ग ने  अपने यात्रा विवरण में  उस समय की सैनिक व्यवस्था का भी वर्णन किया  था। 
उस समय की सैनिक व्यवस्था तथा उस समय सेना में प्रयोग होने वाले अस्त्र-शस्त्र, गज सेना, अश्व सेना   आदि के बारे में बताया गया है।
अगर हम आज देखें  तो उनके बताए अनुसार जितने भी हथियार इस्तेमाल होते थे उन्हीं पर पासियों की सारी जात बनी हुई है। 
पासी जाति की सभी उप जातियों को देखने से साफ साफ पता चलता है कि पासी जाति एक सैनिक संगठन थी । जिसमें विभिन्न प्रकार के हथियारों को चलाने के लिए अभ्यस्त लोगों के नाम पर ही जातियों का नाम पड़ा। 

भारत में पासी ही एकमात्र ऐसी जातियों का ग्रुप है जिसकी सभी  उपजातियों का नाम  उस समय  प्रयोग होने वाले शस्त्रों  / हथियारों के नाम पर ही है। और   सैनिक होने का मतलब सारे छत्रिय ही होते थे  और राजा हमेशा क्षत्रियों में ही चुना जाता था। 

जैसे:----

राजपासी >>तलवारधारी

भरपासी >>भाला धारी 

गुजर पासी >>गदाधारी/हाथी सेना (गज और कुंजर,  हाथी के पर्यायवाची शब्द है,  जिनके नाम से गुजर पड़ा) 

ति्रीशूलिया  पासी >> Trishul Dhari

खटीक पासी >>खड्ग धारी

घुड़चढ़ा पासी>>अश्वरोहि Sainik

कमानिया पासी>> धनुषधारी   Pasi

परशुरामी पासी>> फरसा (battles axe)  धारण करने वाला

 ब्याधा/ बहेलिया (पाशिक्) >>    फंदे/नागपाश का इस्तेमाल करने वाले  और युद्ध बंदियों को पकड़ने वाले

कैथवास,रावत, मोठी, प्रहरी ,बेलखर, पासीवान, सरोज , फासिया, आदि उत्तर प्रदेश में पासी की 24 उपाजियां मुख्य है 

मूल जातियां यही थी परंतु बाद में स्थान के नाम पर पेशे में परिवर्तन के आधार पर पासी जाति में विभिन्न नाम प्रचलित हुए जिस वजह से आज 305 जाति नामो से पासी जाने जाते हैं।

By Kunwar Pratap Rawat

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15 Comments

  1. सूर वीरों कलयुग में मैं आत्मा रूपी राम धरती से पापियों के अन्त के लिए पुनः अवतरित हू आप सभी लोगों से निवेदन है शीघ्र ही एकत्र हो और मिले..... राम

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  2. भारत वर्ष के सभी पासी समुदाय से निवेदन है की बुझ दिल बन कर न बैठें संगठन करे

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  3. My surname is kumar and my gotra is passi. To ma konsa passi hu

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  4. Pasi samaj belkhar sub caste ke bare me v unka pesa kya hai bataiye agar koi jankari hai to

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  5. Jay bhawani jay pasi samajh 🙏

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